Saturday, December 26, 2015

असहायों की मदद के लिए डांस कॉम्पटीशन का आयोजन


फरीदाबाद : समाजसेवी संगठन ह्यूमैन लीगल ऐड एंड क्राइम कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के तत्वावधान में एक चैरिटी डांस शो का आयोजन किया जा रहा है।

संगठन की महासचिव राधिका बहल के अनुसार तीन जनवरी को शहर के एमसीएफ सभागार में गरीब और असहाय बच्चों की सहायतार्थ यह आयोजन दोपहर दो बजे से शुरू होकर देर शाम तक चलेगा। प्रख्यात कोरियोग्राफर प्रकाश शुक्ला, ममता दिलावरी और अरुण गिल डांस कॉम्पटीशन के निर्णायक रहेंगे। रितु आर्या और संजीव कुशवाहा एंकरिंग करेंगे।

आयोजन में सहयोग कर रह प्रेसियस डांस अकादमी के संचालक साज सैफी ने बताया कि इस आयोजन में शहर की कई नृत्य प्रतिभाएं भाग लेंगी। उत्साहवर्धन के लिए कई जाने-माने लोगों द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी। सावित्री ऑडियो-वीडियो डिजिटल रिकॉर्डिंग स्टूडियो के संचालक संजय सैनी के अनुसार विजयी प्रतियोगियों को उनके आगामी एलबम 'साईं की नजर में' और 'तुमसे मोहब्बत कर बैठे' में अपनी प्रतिभा दर्शाने का मौका दिया जाएगा।

एनसीआर क्राइम न्यूज, बीवीएम न्यूज, फरीदाबाद दर्शन, हरियाणा प्रभात टाइम्स, इंडिया प्रहरी, मीडियाभारती.कॉम और टीबीआई9 इस आयोजन के दौरान मीडिया पार्टनर रहेंगे।

Sunday, September 13, 2015

आयकर, कितना 'गैरजरूरी'...?


'देश की संपत्ति' सुब्रह्मण्यन स्वामी का मानना है कि देश में आयकर की व्यवस्था 'बंद' की जानी चाहिए। पता नहीं वह कितने 'सही' हैं...!!

मौजूदा समय में देश के अंदर केवल तीन फीसदी लोग कर चुकाते हैं। इस लिहाज से देखें तो वह 'सही' प्रतीत होते हैं। लेकिन, यदि बाकी के 97 फीसदी लोगों को भी कर दायरे में ले आया जाए तो निश्चित रूप से न केवल सरकारों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि देश के 'सुपर' संचालन के लिए जरूरी धनराशि भी मिलेगी जो लौट-फिरकर जनता के ही काम आती है।

यदि ऐसा हो सके तो आयकर के मौजूदा स्लैब के बजाय नए तरीके से नई श्रेणियां बनाई जा सकती हैं। जैसे, मौजूदा समय के 10, 20 और 30 फीसदी के कर के बजाय 5, 7 और 10 फीसदी कर वसूला जा सकता है। कर देने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाने से टैक्स की दर घट जाने के बावजूद सरकार को ज्यादा 'वसूली' मिलेगी। लेकिन यह एक 'मुश्किल' काम है। इसमें 'ऊर्जा' और 'समय' लगेगा, 'दिमाग' भी लगाना पड़ेगा। इतना 'भरोसा' अभी के नेताओं पर तो नहीं है। इसलिए, यही सही लग रहा है कि इनकम टैक्स को 'खत्म' ही कर दिया जाए। लेकिन, यह जरूरी नहीं कि यह 'सही' हो क्यों यदि ऐसा होता तो दुनिया के ज्यादातर देशों में आयकर नहीं वसूला जाता...।

ध्यान देने वाली बात यह है कि दुनिया के जिन देशों में आयकर नहीं वसूला जाता उनमें से ज्यादातर उच्च प्रतिव्यक्ति आय वाले भौगोलिक रूप से छोटे देश हैं।

Friday, August 14, 2015

अवमूल्यन के 'चीनी' खेल में पिसेगा भारत...!


चीन राजनीतिक रूप से कितना 'भरोसेमंद' है, इसका अहसास भारत को साल 1962 के युद्ध के बाद से ही हो जाना चाहिए और व्यापार के मोर्चे पर कितना भरोसेमंद है, यह अब आने वाले कुछ दिनों में पता लगने वाला है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि देश के कई 'बड़े' नेताओं का मानना है कि यदि किसी देश के साथ अच्छे 'व्यापारिक' रिश्ते हैं तो इतने ही अच्छे 'कूटनीतिक' रिश्ते बनने में देर नहीं लगती। और... यह पूरी तरह 'गलत' सिद्ध होने जा रहा है।

चीन लगातार अपनी मुद्रा युआन का अवमूल्यन कर रहा है। चीन के इस कदम से युआन अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले काफी सस्ता हो गया है और अभी और सस्ता होगा। चीन को इसका फायदा उनके निर्यात में बढ़ोतरी के रूप में मिलेगा। चीन के इस कदम से भारतीय उत्पादों के लिए ग्लोबल बाजार, यहां तक कि स्थानीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी। मतलब यह कि अब चीन से आयात और बढ़ जाएगा क्योंकि अवमूल्यन के बाद चीन से आने वाला हर सामान अब और अधिक सस्ता हो जाएगा। इसके चलते, यहां के उत्पादकों को चीन के सस्ते सामान से कड़ी स्पर्धा करनी पड़ेगी। भारत में बाजार पहले से ही चीन के सामान से पटा पड़ा है, यहां तक कि पूजा के लिए जरूरी लक्ष्मी-गणेश भी चीन से ही बनकर आ रहे हैं।

अब इसका एक इलाज यह नजर आ रहा है कि भारत रुपये का अवमूल्यन करे... ताकि निर्यात के जरिए कुछ संतुलन बनाया जा सके। लेकिन, ऐसा करने से डॉलर की तुलना में रुपया और गिर जाएगा। वर्तमान में यह 65 रुपये के ऊपर है। बिना अवमूल्यन के ही इसके 67 रुपये प्रति डॉलर तक जाने की आशंका है। यदि रुपये का अवमूल्यन हुआ तो यह आसानी से 70 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर सकता है। अब आगे आने वाले दिनों की बस कल्पना ही करिए... 

Monday, July 27, 2015

या तो 'आक्रमण' न करते हुए 'बचाव' करते रहो या फिर 'उड़ा' ही दो...


इतनी बार कहा है कि पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लफड़े में मत पड़ो। जब भी 'पड़ोगे' ऐसे ही 'ठुकोगे'...। संबंध सुधारे जाते हैं 'चुनी' हुई सरकार से और पाकिस्तान में असल सत्ता है वहां की आर्मी। जैसे ही 'बेचारे' पाकिस्तानी नेता बात 'बनाने' की कोशिश भी करते हैं तो वहां आर्मीवाले 'एक्टिव' हो जाते हैं...। अब कर लो बात...। तो फिर 'सॉल्युशन' क्या है...? भाई, आर्मी का सॉल्युशन तो आर्मी ही हो सकती है। या तो 'आक्रमण' न करते हुए अपना 'बचाव' करते रहो। या फिर 'उड़ा' ही दो...।

जो 'गलती' अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और रिटर्न गिफ्ट 'कारगिल' मिला था, वो ही गलत नरेंद्र मोदी कर रहे हैं और 'रिटर्न गिफ्ट' ले रहे हैं।

कांग्रेस वाले जब जब भी सरकार में आते हैं वे पाकिस्तान से बातचीत के लफड़े में 'कम' ही पड़ते हैं। सचिव स्तर वगैरह की बैठकें होती रहती हैं। कोई भी कांग्रेसी पीएम कभी भी पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने में 'अतिरिक्त उत्सुक' नहीं दिखा। इसके उलट, बीजेपी का हर प्रधानमंत्री पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारकर 'स्टेट्समैन' बनने की 'फिराक' में रहता है और हर बार 'धोखा' खाता है...।

(सभी फोटो इधर-उधर से ऐसे ही उठा लिए हैं। सबका आभार...)

Tuesday, July 14, 2015

साल 1948-49 और हमारे 'ताऊजी'



दौलतराम गुप्ता
साल 1948-49...। देश में आजादी की ताजी-ताजी हवा...। अवागढ़ रियासत में पड़ने वाले एक गांव का किसान मालगुजारी अदा करने 'देर' से पहुंचा तो राजा के कारिंदे ने लकड़ी की छड़ी मुंह पर दे मारी। चेहरे पर घाव लिए घर पहुंचने पर 20-22 साल के करीब छह फुट लंबे बेटे ने पूछा कि यह क्या 'लगा' है...? पिता ने सच्चाई बयां की तो बेटे ने आव देखा न ताव... और पहुंच गया कारिंदे के पास...। कारिंदा कहीं जाने के लिए घोड़े पर चढ़ रहा था। बेटे ने उसका पांव पकड़कर नीचे खींच लिया और अपना जूता निकालकर ...दे दनादन दे...। हक्का बक्का कारिंदा तत्काल समझ ही नहीं पाया कि ये हुआ क्या...। कारिंदे को लगभग मरणासन्न हालत में छोड़कर घर लौटे उस युवक को हफ्ते-दो-हफ्ते तक छुपा-छुपाकर रखना पड़ा। गांव के लोगों का कहना है कि उसके बाद उस 'कारिंदे' की कभी किसी से दुर्व्यवहार करने की हिम्मत नहीं पड़ी। उसे शायद यह समझ आ गया था कि देश की 'तस्वीर' बदल रही है... 'तौर-तरीके' बदल रहे हैं...। आज हमारे 'ताऊजी' नहीं रहे... पापाजी याद कर रहे हैं...

Thursday, April 09, 2015

'नौकरी' या 'पत्रकारिता'... मेरी चॉइस...!

पत्रकार कभी 'रिटायर' नहीं होते...। लाइफटाइम 'जॉब' है यह। रिटायर वे 'नौकरी' से हो जाते हैं और उस 'रिटायरमेंट' के बाद ही उन्हें सच्चे 'ज्ञान' की प्राप्ति होती है।

जितना समय वे 'नौकरी' करते हैं 'पत्रकारिता' शायद कर ही नहीं पाते। वास्तव में पत्रकारों का काम 'नौकरी' करना या मांगना है ही नहीं। नौकरियां तो दूसरे सेक्टर में कई गुना ज्यादा 'बेहतर' हैं..। यह समाज, देश और दुनिया की सेवा का काम है। यहां धन की 'इच्छा' नहीं करनी चाहिए। आपके काम और समर्पण के एवज में धन 'स्वत:' आता है, शायद...

दरअसल, पत्रकार कभी 'नौकरी' कर ही नहीं सकता। जितने भी 'बड़े' पत्रकार हुए हैं उनमें से कभी किसी ने कोई 'नौकरी' नहीं की। 'निराला' सबसे बड़े उदाहरण हैं। पत्रकारिता का नुकसान ही तब से शुरू हुआ है जबसे पत्रकार 'नौकरी' ढूढने लगे और उन्हें 'मिलने' भी लगी।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि खुद पत्रकार पत्रकारिता को 'मजदूरी' की तरह करना चाहते हैं जो हो ही नहीं सकता...। पत्रकार तो 'देश की संपत्ति' होते हैं और उन्हें देश 'देता' है। जो लोग मीडिया के क्षेत्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं वे एक 'बड़ी' गलती कर रहे हैं। वे दरअसल 'मजदूर', 'नौकरीपेशा' या 'अंग्रेजों के जमाने के क्लर्क' बनने की कोशिश कर रहे हैं। उनका 'रेट' बाजार तय करता है जो 'वही' है जो उन्हें 'मिल' रहा है...।

अब 'असली' पत्रकारों की यह जिम्मेदारी है कि यह 'बात' वे पत्रकार बनने की उम्मीद पालने वाले नए रंगरूटों को समझा दैं। सब समझ जाएंगे... बड़े 'समझदार' हैं सब...।

Wednesday, April 08, 2015

ऐेसी पड़ी गवर्नर की 'लताड़'...

मंगलवार की सुबह होते ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से खबर आती है कि रेट कट में कोई कमी नहीं होगी इस बार...। थोड़ी देर बाद बड़ी बैंकों के बड़े अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहते हैं कि वे ब्याज दरें 'अभी' नहीं घटाएंगे।

करीब 10 कारण बताए गए जो अर्थशास्त्र की 'परिभाषा' के अनुसार बिल्कुल 'ठीक' लग रहे थे। ज्यादा कुरेदा गया तो बोले कि जून तक बताएंगे कि ईएमआई 'कम' होगी या नहीं...। ईएमआई कम करने के सवाल पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेअरपर्सन अरुंधति भटनागर तो सबसे ज्यादा 'नाराज' भी हुईं।

प्रेस कॉन्फ्रेस खत्म होते-होते आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने जोरदार तरीके से बैंकों के शीर्ष क्रम को इस बात के लिए 'लताड़ा'। डांट पड़ते ही सभी बैंकों में कर्ज की ब्याज दरें कम करने की 'होड़' सी लग गई।

शुरुआत सबसे पहले एसबीआई ने की जिसकी 'मालिक' ने सबसे ज्यादा 'गुस्सा' दिखाया था। जय हो...!

Monday, April 06, 2015

'गाली-गलौज नहीं करूंगा तो...'

कल मेरे एक सहयोगी पूछ रहे थे कि नेताओं से अनाधिकारिक रूप से बात करो तो वे कितने 'जहीन' और 'समझदार' नजर आते हैं लेकिन मंच पर जाते ही उन्हें न जाने क्या हो जाता है... पहले भी एक बार किसी ने पूछा था और एक बार फारुख शेख ने भी ऐसा ही कहा था। उसी संदर्भ में यह बात याद आई है।

...अलीगढ़ में एक बड़े दलित नेता थे... अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि विभाग में प्रोफेसर...। इंदिरा गांधी के 'कड़े' आलोचक... खूब 'गालियां' देने वाले...। बात दिल्ली तक पहुंची तो इंदिरा गांधी ने उन्हें बुलवाया और कहा कि हम तो तुम्हें 'मंत्री' बनाना चाहते हैं लेकिन क्या करें तुम 'गाली-गलौज' बहुत करते हो...।

इसपर वह बोले कि कोई बात नहीं, गालियां देना 'बंद' कर देंगे। इंदिरा जी मुस्करा गईं। थोड़ी देर दूसरी बातें चलीं। जब विदाई का वक्त आया उन्होंने पूछ ही लिया कि आखिर तुम इतना गाली-गलौज करते क्यों हो..? तो जवाब आया कि दलितों का नेता हूं, गाली-गलौज नहीं करूंगा तो 'चमर्रे' मेरे पीछे कैसे लगेंगे। यह बात अलग है कि वह खुद भी इसी जाति के थे...।

बाद में वह तत्कालीन सरकार में राज्य मंत्री बने। साल 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो वह 'वहां' चले गए। बाद में उनका 'अंत' बहुत दयनीय स्थिति में हुआ।

Monday, January 12, 2015

Meaning Of The All Rights Accessed Domain Name...

Dharmendra Kumar

In market, there is an availability of a complete range of domains' price. It varies from Rs.80 to Rs.8000/- for same and different top label domains (TLDs). Now, questions arises that what this difference of price is...? At Mediabharti Web Solutions, we sells domain names at very reasonable price for all TLDs. You should always buy the domain names with all rights accessed. Price of a domain depends on the services you are getting in your domain panel.

In it, we offer these features for our clients... take a look...

1. Contact Details: You can manage contacts associated with each Domain Name in various setup like 'Registrant Contact', 'Administrative Contact', 'Billing Contact' and 'Technical Contact'.

2. Privacy Protection: You can protect yourself from spam, identity theft and fraudis service. It is recommended that you enable privacy protection in order to mask your personal information from fraudsters and spammers. When you Register a domain name with us, the Whois of your domain name lists your personal information (such as Name, Company Name, Address, Telephone Number, Email Address etc.) as Contact Details for that domain name. This information becomes available to anyone who performs a Whois lookup of your domain name. Your personal information is, therefore, at risk from being manipulated by data miners, who can then target you via junk email, prank telephone calls, postal messages, fax messages, etc. By using Privacy Protection service, you may immediately put a stop to such abuse. When you enable this service for your domain name, we replace your Contact Details in the Whois information with our generic contact details, thus, masking your personal contact details.

Other players in industry charges upto Rs.400/-, only for this service.

3. Name Servers: You can manage Name Servers with Domain in your panel. Name Servers are used to point your Domain Name to your website or email service. We require that you maintain at least two Name Servers for your Domain Name.

4. Child Name Servers: You can manage Child Name Servers of any Domain Name. Child Name Servers are Name Servers which are registered under your Domain Name. Once registered, you can use these Child Name Servers in turn as Name Servers for registering other Domain Names. For branding purpose, it is very necessary to sub re-sellers.

5. Domain Secret or Extensible Provisioning Protocol (EPP) code: You can set the authorization code to transfer the Domain Name. The Domain Secret provides an additional layer of security to protect your Domain Name from unauthorized transfer. You must ensure that you keep your Domain Secret or EPP code confidential.

6. Theft Protection: You can protect your Domain Name from theft and accidental transfers. Theft Protection secures your Domain from unauthorized transfers. It recommended that you keep this enabled, except when transferring your Domain Name out.

7. DNSSEC: You can protect your DNS data by adding digital signatures. DNS Security Extensions (DNSSEC) protect applications from using forged or manipulated DNS data by digitally signing data to validate it's origin. This ensures that the end user is connecting to the actual address for a domain name. You have to contact your hosting provider for DNSSEC values of the domain name.

8. Email: You can get a professional email address for your business using our free email service without a web hosting account. You, also, can manage emails, users, mailing lists, email forwarding and many more things.

9. DNS Management: You can manage Domain Name Server (DNS). Also, you can map your Domain Name to other Web Hostings or Email services and set Domain Aliases etc.

10. Domain Forwarding: You can manage Domain Forwarding with your panel. You may forward your current Domain Name and it's sub-domains to another Domain Name.

11. URL Masking / Stealth Redirection / URL Hiding: These features are also available with us. Enabling URL masking will ensure that your visitors see the source URL and not the destination URL.

12. Sub Domain Forwarding: Enabling Sub Domain Forwarding will forward a request made to http://subdomain.xyz.com to http://yourdestinationurl/subdomain/

13. Path Forwarding: Enabling Path Forwarding will forward requests made to http://xyz.com/some/path to http://yourdestinationurl/some/path.

So, from next time, buy any domain name with all features and with right price. 

Friday, January 09, 2015

‘डिजिटल इंडिया’ सिर्फ एक सपना या बनेगा हकीकत...

धर्मेंद्र कुमार

प्रधानमंत्री बनने के बाद नागरिकों के सशक्तिकरण के लिए डिजिटल इंफ्रास्‍टक्‍चर को प्राथमिकता देते हुए नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से घोषणा करते हुए कहा था कि उनकी सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ के लिए कार्य करने को प्रतिबद्ध है। इससे लोगों को सूचनाएं और सेवाएं समय पर और प्रभावी तरीके से मिल सकेंगी।

इससे कुछ समय पहले, लोकसभा चुनावों के दौरान, ‘फार्च्यून‘ पत्रिका के भारतीय संस्करण में ”100 चीजों को जानो तथा बहस करो, वोट करने से पहले” शीर्षक से एक लेख छापा गया था जिसमें सौ की सूची में 84वां विषय ‘निम्न सूचना प्रौद्योगिकी अनुपात‘ से संबंधित था। इसमें कहा गया था कि ”सन् 2013 में, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन्स यूनियन ने 157 राष्ट्रों में से भारत को 121वें स्थान पर रखा था जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के मामले में काफी पीछे है।“ यह क्रमांक आईसीटी डेवलेप्मेंट सूचकांक के ‘संकेतकों पर आधारित है। जिन चीजों को ध्यान में लिया गया उनमें- प्रति 100 जनसंख्या पर इंटरनेट यूजर्स, वायरलेस और ब्रॉडबैंड पहुंच, मोबाइल उपभोक्ता और इंटरनेट बैंडविड्थ प्रति यूजर आदि शामिल हैं। इसपर टिप्पणी करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था कि ‘हमारी महान सूचना-तकनीक कुशलता के लिए बस इतना...!’

बहती गंगा में हाथ धोते हुए और अपने युवा वोट बैंक को निशाना बनाते हुए आम आदमी पार्टी ने भी कह डाला कि यदि दिल्ली में उनकी सरकार बनी तो पूरी राजधानी में वाई-फाई 'फ्री' होगा...।

‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम सरकार के सभी मंत्रालयों को देश के हर कोने से जोड़ने का एक प्रयास है। इसका उद्देश्य देश को डिजिटली सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था के हब के रूप में परिवर्तित करना है। यह कार्यक्रम साल 2018 तक चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाना है। इस कार्यक्रम से यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी सेवाएं नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों। इसके जरिए सार्वजनिक जवाबदेही भी बढ़ने की आशा है।

डिजिटल इंडिया के विजन क्षेत्रों को इस प्रकार से बांटा गया है कि इससे प्रत्येक नागरिक के लिए सुविधा के रूप में बुनियादी ढांचा तथा मुख्य सुविधा के रूप में हाई स्पीड इंटरनेट सभी ग्राम पंचायतों में उपलब्ध कराया जाएगा।

कुल मिलाकर, डिजिटल इंडिया के उद्देश्य ब्रॉडबैंड हाइवेज व मोबाइल कनेक्टिविटी सबको सुलभ कराना, पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम, ई-गवर्नेन्स यानी प्रौद्योगिकी के जरिए सरकार को सुधारना, ई-क्रांति यानी सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी, सबके लिए जानकारी, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, रोजगारों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी तथा अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स आदि हैं।

वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में अपना पहला बजट पेश करते हुए कहा था कि यह कार्यक्रम ग्रामीण स्‍तर पर इंटरनेट की सुविधा, आईटी के माध्‍यम से सार्वजनिक सेवाओं तक लोगों की पहुंच, सरकारी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के साथ-साथ घरेलू उपलब्‍धता तथा निर्यात में वृद्धि के लिए आईटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के देशी उत्‍पादन को बढ़ावा देने में कारगर साबित होगा। इस काम के लिए 500 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दी गई थी।

लेकिन, वर्तमान में वस्तुस्थिति कुछ अलग ही कहानी कह रही है। सच यह है कि ब्रॉडबैंड कमीशन फॉर डिजिटल डेवलेपमेंट रिपोर्ट में भारत को 200 देशों में से 145वें क्रमांक पर रखा गया है। वास्तव में, भारत को कम से कम कनेक्टेड देशों के 39 के समूह में स्थान दिया गया है। इस 39 देशों के समूह में अधिकतर अन्य अफ्रीकी राष्ट्र हैं।

आलम यह है कि 'बैंडविड्थ' का कोई अता-पता नहीं है... पूरे देश में बैंडविड्थ का एक ‘बड़ा’ अभाव है। इस वजह से इंटरनेट बहुत 'धीमा' चलता है...। 'डिजिटल इंडिया' और 'फ्री' वाई-फाई जैसी चीज कहने से पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बहुत काम करने की जरूरत है। फिलहाल, हमारा देश इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पूरी तरह 'विदेशियों पर निर्भर' हैं। एक छोटा उद्ममी अपना सेटअप लगाना चाहे तो 'संभव' ही नहीं है...। सारे सर्वर विदेशियों के 'हवाले' हैं... और तो और... इसके चलते भारत में वेबसाइट बनवाने और चलाने वाले ग्राहक कहते हैं कि सर्वर 'अमेरिका' का होना चाहिए... जो कि बहुत 'सस्ता' और 'बेहतर' है...।

इतना ही नहीं मोदी ने जिस आधार कार्ड को फुल सपोर्ट दिया है उसका पूरा डेटाबेस अमेरिकी सर्वर पर रखा हुआ है। विशेषज्ञ अभिनय प्रसाद कहते हैं कि पहले उस डाटाबेस को ही भारत में लाओ...। डेटाबेस का स्वदेशी सर्वर पर होना और पूरी तरह सुरक्षित होना बहुत जरूरी है।

भारत में 'वैंडविड्थ' दूसरे बड़े देशों की तुलना में बहुत 'महंगी' भी है, इंटरनेट कनेक्शन कैसे चलते हैं... यह भी पता है सबको...। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के दावे को लेकर साइबर विशेषज्ञ पंकज चोपड़ा कहते हैं कि 'मान लीजिए, बैंडविड्थ आ भी गई तो 'सुरक्षा' और 'प्राइवेसी' का क्या... 'हैकिंग' और 'मिस-यूज' बढ़ेगा सो अलग... यह एक बहुत बड़ा 'सपना' है। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए सरकारों और नेताओं को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।

भारत में सर्वर लग सकें, वे सस्ते भी हों और बहुत कारगर भी हों... तथा इंटरनेट सेवाओं के ग्राहक कहें कि हमें भारत में लगा सर्वर चाहिए... तब मानो कि 'डिजिटल इंडिया' की ओर 'पहला' कदम चला देश...। फिलहाल, यह एक दिवास्वप्न से ज्यादा कुछ नहीं है। हालांकि, 'सपना' बहुत खूबसूरत है...।

(कुछ अंश विभिन्न रिपोर्ट और शोध कार्यों से लिए गए हैं) 
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