Friday, October 10, 2014

'गैर' तो गैर, 'अपने' ही उड़ा रहे हैं मोदी के 'स्वच्छता अभियान' की धज्जियां

धर्मेंद्र कुमार
डिनर के बाद खाने को मिली 'पारले मेलोडी' की दो टॉफियों में से एक, अपने साथ शाम को पार्क में घूमने वाले मित्र 'तौमर साब' को पकड़ाई तो 'रैपर' उतारते-उतारते याद आया कि हमारे पीएम नरेंद्र मोदी ने 'स्वच्छता अभियान' चलाया हुआ है और हमें यूं ही सड़क पर इन रैपर को नहीं छोड़ना चाहिए।

आस-पास देखा तो कोई ऐसी जगह नहीं मिली जहां इन रैपर को डाला जाता। तौमर साब ने आइडिया दिया, 'जेब में रख लेते हैं, घर जाकर डस्टबिन में डाल देंगे'। तभी, एक पड़ोसी का डस्टबिन दिखाई दिया और हम दोनों ने टॉफी के वे दो रैपर उसमें डाल दिए। इसके साथ ही अपने मन में देश तथा समाज की सेवा कर लेने के अपने 'दायित्व' को पूरा करने का 'संतोष' भी जगा लिया।


गली से निकलकर पार्क में पहुंचे। पार्क में रोजाना की तरह बच्चे वैसे ही खेल रहे थे, कुछ बुजुर्ग वैसे ही 'ज्ञान-ध्यान' की बातें कर रहे थे, कुछ लड़कियां और लड़के अपने-अपने मोबाइल पर 'लगे' हुए थे और हम लोगों ने कुछ अन्य लोगों की तरह ट्रैक पर 'वॉकिंग' शुरू कर दी। एक चौथाई चक्कर ही लगा पाए थे कि तौमर साब ठिठके और बोले... 'अब कर लो अपना दायित्व पूरा...'। पार्क के उस बड़े हिस्से में चारों ओर प्लास्टिक के गिलास, बोतलें कागज-प्लास्टिक की झंडियां, फटे कार्टून, खाने की प्लेट और न जाने क्या-क्या बेतरतीब पड़ा हुआ था। आदत के अनुसार, हमने अपना कैमरा निकाल लिया और लगे फोटोग्राफी करने... साथ घूम रहे अन्य लोगों से पता किया तो उन्होंने बताया कि यहां अभी-अभी क्षेत्रीय भाजपा प्रत्याशी ने सभा की है। उन्होंने लोगों से उन्हें वोट देने की अपील की है और हल्की-फुल्की दावत भी दी है।

सुबह जब पार्क में दोबारा पहुंचे तो पार्क को रात की ही तरह 'बदहाल' पाया। इस बार फिर कुछ और फोटो खींचे। कुछ कांग्रेस के समर्थक लग रहे बुजुर्गों ने जब फोटो खींचते देखा तो बोले कि 'बीजेपी का झंडा जरूर फोटो में ले लीजिएगा'। अब मन में सीधा सवाल यह उठा कि ये लोग किस मुंह से मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। मेरी जब भी किसी भाजपा प्रत्याशी से उनकी 'जीत' को लेकर कोई बात हुई है तो 'लगभग' सबने यह कहा है कि 'मोदी जी के चलते सभी पार्टी प्रत्याशियों का बेड़ा पार तय है'।

बातों - बातों में पता चला कि नजदीक के दूसरे पार्क में बीती रात कांग्रेस के प्रत्याशी ने भी सभा की है... और केवल सभा ही नहीं बल्कि 'भंडारा' भी किया है तो उत्सुकतावश दूसरे पार्क में जाने की इच्छा बलवती हुई। वहां पहुंचे तो नजारा और भी 'बेहतरीन' था... उन्होंने पार्क के केवल एक हिस्से में ही आयोजन न करके पूरे पार्क का प्रयोग अपने प्रयोजन के लिए कर लिया था। चारों तरफ प्लास्टिक के गिलास, बोतलें, कागज-प्लास्टिक की झंडियां, डंडे, फटे कार्टून, खाने की प्लेट और बैनर आदि बिखरे पड़े थे। पेड़ और पौधों के चारों ओर प्लास्टिक की झंडिया लपेट दी गई थीं। यहां भी कुछ बुजुर्ग मिले जिन्होंने कहा कि 'कांग्रेस के झंडों को फोटो में जरूर ले लीजिएगा'।

फोटो-वोटो ले लेने के बाद हमने कुछ बुजुर्गों को इकट्ठाकर प्रस्ताव रखा कि इन दोनों पार्कों की सफाई करते हैं और उनका भी फोटो लेकर यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि हमारे भावी जनप्रतिनिधि किस तरह 'बिगाड़ने' में लगे हुए हैं और आम जनता किस तरह इसे 'संवारने' में लगी है। यह सुनते ही उनमें से कई वहां से 'खिसकना' शुरू हो गए। हालांकि, तभी निगम के सफाईकर्मियों ने वहां आकर अपना रोज का 'अभियान' शुरू कर दिया।

अब सवाल यह है कि जिस देश का 'प्रधान सेवक' देश की जनता से यह आह्वान कर रहा है कि अपने आस-पास सफाई रखी जाए, उसी के अन्य 'लघु सेवक' इस प्रक्रिया में अपना क्या 'योगदान' दे रहे हैं। चूंकि प्रधानमंत्री ने रेडियो पर अपने 'मन की बात' बताने के दौरान कहा था कि अगर आप कोई भी विसंगति या सुझाव देना चाहते हैं तो सबूत और पर्याप्त सामग्री के साथ उन्हें उनतक भेजें, वह निजी तौर पर उसे देखेंगे और कार्रवाई करेंगे तो यह ब्योरा हम उन्हें उनकी वेबसाइट के जरिए फोटो सहित भेज रहे हैं। देखना है कि वह इसपर कैसे संज्ञान लेते हैं...।

Saturday, August 30, 2014

.भारत Domain Name Available Now On Mediabharti Web Solutions



This is truly a Indian's pride and honour to have this domain name. This is the first domain name system which is fully IDN till date you are getting domain name in IDN and extension in English like योगा.com but .in .भारत you will get extension also in your native language like योगा.भारत (Devanagari Lipi- Hindi, Bodo (Boro), Dogri, Konkani, Maithili, Marathi, Nepali and Sindhi) Or યોગા.ભારત (in Gujarati). Currently, .भारत is available in seven Indian languages mainly in Devanagari (Hindi and seven others mentioned above), Bangla, Telgu, Gujarati, Urdu, Tamil and Gurumukhi (Punjabi) and later on other Indian languages will be added to this list. Currently registry is offering .भारत and कंपनी.भारत domain names through us.

Process of Registration of .भारत:

Registry released the schedule for registration process as under:
Domain name 
.भारत / कंपनी.भारत will be first offered in Sunrise period, Sunrise period is the priority registration period where the domain name will be offered to Trade Mark Holders or .IN domain names holders and once this period is over .भारत /कंपनी.भारत domain name will be available to general public openly without any restrictions.

Details of Sunrise Period (15th August- 31st October, 2014) is as under:
• Sunrise A: Indian Registrant holding Indian Trade marks (15 Aug.- 15 Sept., 2014).
• Sunrise B: Overseas Registrant holding Indian Trade Marks (1 Sept.- 15 Sept., 2014)
• Sunrise C: Existing Registrant holding ASCII domain name .in (1 Oct.- 31 Oct., 2014).
General Availability: Once the Sunrise period is over, anybody can register the domain name without any condition from 18th November, 2014 at 09:00 IST. From our website www.mediabharti.co.in. Details of this will be available later.
Sunrise Registration Process:
Sunrise A: Indian Registrant holding Indian Trade marks (15 Aug.- 15 Sept., 2014) and
Sunrise B: Overseas Registrant holding Indian Trade Marks (1 Sept.- 15 Sept., 2014) and
Sunrise C: Existing Registrant holding ASCII domain name .in (1 Oct.- 31 Oct., 2014)

Condition: 
1. Any Indian Entity or individual having Indian Registered Trade Mark or Overseas Entity or Individual holding Indian Registered Trade Mark can apply during this period for registration of .भारत  /  कंपनी.भारत domain names. (For Sunrise A and B)
2. Minimum Registration will be for Five years. (For All Sunrise i.e. A, B and C)
3. A Valid .IN domain name registration in the applicant's name for Sunrise C application.
For More Details reach to us at dharm2008@mediabharti.co.in

Friday, August 29, 2014

जन-धन योजना के मायने...


धर्मेंद्र कुमार

जन-धन योजना कितनी सफल या असफल होगी, यह कहना तो मुश्किल है... लेकिन इससे एक बड़ा फायदा यह होने जा रहा है कि बैंकिंग हर आदमी या कहें कि हर परिवार तक पहुंच जाएगी।

एक बड़ी जनसंख्या होने के चलते बड़ी मात्रा में बचत खाते खुलने से एक बड़ा कोष बन सकेगा जिससे अधिक धन भारतीय बाजार में प्रवाहित होगा। इससे धन संयोजन करने के मामले में राज्यों की केंद्र पर निर्भरता थोड़ी सी कम होगी। यह ठीक एक-एक लकड़ी को इकट्ठा कर गट्ठर बनाने वाली बात है।

इस कदम को मीडिया में मिली अधिक जगह को देखते हुए इसे अति उत्साह कह सकते हैं लेकिन पता नहीं पूर्व में ऐसा विचार किसी अन्य 'अर्थशास्त्री' के दिमाग में क्यों नहीं आया...। ध्यान रहे, पूर्व यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया देश के ही नहीं बल्कि विश्व के जाने-माने अर्थशास्त्री रहे हैं। लेकिन, हो सकता है कि जमीन से ज्यादा जुड़ाव न हो पाने के चलते उनके दिमाग में यह विचार न आ पाया हो...।

इस अभियान के तहत खोले जा रहे एक बचत खाते में कम से कम 100 रुपये भी रहें तो एक बड़ी धनराशि जुटाई जा सकती है... इसका एक परिणाम तो यह होगा कि इससे बाजार में तरलता बढ़ेगी जिससे सरकारी घाटे में कमी लाई जा सकती है। यानी, नए नोट कम छापने पड़ेंगे...। हालांकि, इससे मामूली मुद्रास्फीति बढ़ेगी लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि सुप्तावस्था में पड़ी धनराशि दैनिक संवहन में आएगी तथा अधिक लोग अर्थव्यवस्था में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर पाएंगे।

यह दरअसल एक 'सुधार' ही है। इससे सिर्फ फायदा ही हो सकता है। किसी बड़े नुकसान की आशंका कम ही लगती है।

देश में करीब 10 करोड़ परिवार ऐसे हैं जो बैंकिंग व्यवस्था के हिस्सेदार नहीं हैं। ध्यान रहे, करीब इतने ही लोग देश में इंटरनेट का प्रयोग करते हैं और इनमें से ज्यादातर लोग बैंकिंग से जुड़े हुए हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है इस क्षेत्र में कितनी विषमता है। पहले ही दिन करीब डेढ़ करोड़ लोगों के खाते खोल दिए गए हैं। इस आंकड़े को देखकर लगता है कि बाकी परिवारों को भी अर्थव्यवस्था के मुख्य धारे में लाने का काम ज्यादा दुष्कर नहीं है।

योजना बन गई है... शुरू हो गई है... अब यह कहां तक जाएगी...? यह एक विचारणीय सवाल है। इसके कुशल संचालन पर ही इसकी सफलता टिकी हुई है। जिन लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश इस योजना के जरिए की जा रही है उन्हें पाना तभी संभव हो सकेगा।
 
इस अभियान के साथ बीमा और ओवरड्राफ्ट की सुविधाएं देने की भी योजनाएं हैं। हालांकि, ये योजनाएं ठीक वैसे ही हैं जैसे एक टेलीफोन कनेक्शन के साथ कुछ टॉकटाइम फ्री...। लेकिन इन योजनाओं को सही तरीके से चलाने के लिए बैंकिंग ढांचागत व्यवस्थाओं को और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत पड़ेगी। सरकार इसे सुनिश्चित करने के लिए आगे क्या काम करने वाली है, इसे भी देखे जाने की जरूरत है।

Thursday, July 31, 2014

'सही' क्या है और 'गलत' क्या है... कौन करे यह फैसला... ?

धर्मेंद्र कुमार
'सही' क्या है और 'गलत' क्या है... यह फैसला कौन करे... ? मेरे खयाल से 'सत्य' तो सार्वभौमिक है... जबकि 'सही' और 'गलत' की परिभाषा हम अपने हिसाब से गढ़ लेते हैं...।

मेरी नजर में जो 'सही' है वह आपकी नजर में 'गलत' हो सकता है लेकिन वास्तव में 'सत्य' शायद कुछ और ही होता है... 'सत्य' को कोई फर्क नहीं पड़ता यदि मैं उसे बोलूं या नहीं बोलूं..., लेकिन किसी 'असत्य' को मेरे द्वारा 'सही' कह देने भर से वस्तुस्थिति बदल जाती है...। उसके परिणाम बदल जाते हैं...। यह ठीक वैसे ही है जैसे बचपन में कहानी सुनाते हैं बाबा लोग... एक शिकारी ने गाय के भागकर जाने का मार्ग पूछा तो एक ग्रामीण ने 'सत्य' बोल दिया और शिकारी ने जाकर उसका वध कर दिया जबकि इसी तरह एक अन्य परिस्थिति में दूसरे किसान ने उसे भ्रमित कर 'सही' बोला और कहा कि 'गाय इधर नहीं गई है...' इससे गाय की जान बच गई...।

ये बड़ा गड्ड-मड्ड है... भगवान श्रीकृष्ण ने 'सत्य' के साथ कई प्रयोग किए है... 'सही' और 'गलत' की कई परिभाषाएं दी हैं... हम लोग अपने 'मतलब' से चुन लेते हैं... कृष्ण कौन से कम थे... उन्होंने भी कमोबेश यही किया... तो हम क्या चीज हैं...।

बेहतर तो यह है कि हम यह सोचकर फैसला करें हमारे किस निर्णय से देश को, समाज को और वहां रहने वाले जीव-जंतुओं को फायदा हो सकता है। कई बार असली सत्य के चक्कर में एक बड़े समुदाय के साथ अन्याय हो जाता है... या कह सकते हैं कि तर्क के अभाव में अनुचित फैसला हो जाने की आशंका बन जाती है तो उसके दुष्परिणाम अंतत: सबको झेलने होते हैं।

रामायण काल में राजा हरिश्चंद्र का सत्य था... जिसके चलते उनके परिवार ने खूब कष्ट झेले... और मानक बने...। महाभारत में भीष्म का ‘सत्य’ था, द्रोणाचार्य का ‘सत्य’ था, कर्ण का भी अपना ‘सत्य’ था... लेकिन उनके 'सत्य' पालन से क्या परिणाम सामने आए, वे जगजाहिर हैं।

तो फिर करें क्या...? कुछ मत करो..., शरीर को शिथिल छोड़ो और यह सोचने की कोशिश हो कि आज जो हम फैसला कर रहे हैं उसके दूरगामी परिणाम क्या हो सकते हैं... अगर सही सोच पाए तो वही ‘सही’ होगा... और सत्य की परिभाषा में ‘फिट’ बैठ सकता है। अन्यथा अपने भाग्य को कोसिए और सत्य की तलाश करिए...।

Friday, May 30, 2014

‘पेड न्यूज’ जैसी दुश्वारियों से निजात दिला सकती है ऑनलाइन पत्रकारिता

धर्मेंद्र कुमार

ठीक 188 साल पहले पं. जुगल किशोर शुक्ल ने वर्ष 1826 में जब पहला हिन्दी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ निकाला तो हिंदी पत्रकारिता का मतलब सिर्फ ‘अखबार’ ही रहा होगा... ऐसा शायद किसी ने न सोचा होगा कि आने वाले युग में अखबार के अलावा दूसरे कई माध्यम संवाद संप्रेषण करने के लिए अपनी जगह बनाएंगे।

अखबार के बाद रेडियो और उसके बाद टेलीविजन के आगमन ने लोगों के सामने समाचार जानने के लिए नए माध्यम मुहैया कराए। बीते करीब 20 सालों में ऑनलाइन माध्यम तेजी से उभरा है। साथ ही हिंदी समाचार प्रस्तुत करने वाली कई समाचार वेबसाइट भी...।

एक ऐसा माध्यम जिसने अखबार, टीवी और रेडियो आदि सभी माध्यमों के गुणों को अपने में समाहित कर लिया। इंटरनेट पर उपलब्ध वेबसाइट के जरिए रेडियो को सुना जा सकता है, अखबार पढ़ा जा सकता है और लाइव टीवी देखा जा सकता है। हालांकि, यह अतिशयोक्ति होगा लेकिन पत्रकारिता में एक वर्ग तो यह भी मानता है कि ऑनलाइन माध्यम के बाद दूसरे मीडिया साधनों की जरूरत ही नहीं रहेगी। सभी पाठक वर्ग एक इसी माध्यम के जरिए ही सभी साधनों के समाचार प्राप्त कर सकेंगे।

ऑनलाइन पत्रकारिता की मदद से सबसे बड़ा लाभ यह हो रहा है कि समाचार जानने के लिए दो ढाई हजार अखबार, चार-पांच सौ टीवी चैनल या दो-तीन सौ रेडियो केंद्रों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। यह माध्यम हर नागरिक को हिंदी सहित लगभग सभी भाषाओं में ‘संपादक’ के रूप में काम करने का मौका देता है। समाचार वेबसाइट पर मौजूद सामग्री पर टिप्पणी करके, यहां मौजूद सामूहिक वाद-विवाद में भाग लेकर या सोशल मीडिया के जरिए संदेशों का आदान-प्रदान कर समाचार संवहन किया जा रहा है...

‘मत’ बनाए जा रहे हैं। इससे हाल के दिनों में पनपी ‘पेड न्यूज’ जैसी दुश्वारियों से भी निजात मिलना आसान होगा। आदर्श स्थित में जब हर व्यक्ति ‘संपादक’ होगा तो कौन किसको ‘खरीदेगा’ या खरीदने का प्रयास कर सकेगा। हर नागरिक के लिए खुले माहौल में पूरी स्वतंत्रता के साथ विचार अभिव्यक्ति के लिए इससे बेहतर माध्यम हाल-फिलहाल में कोई नहीं दिखता।

हिंदी टीवी चैनल और अखबारों की ‘प्राकृतिक’ और ‘भाषागत’ आक्रामकता को देखते हुए गाहे-बगाहे मीडिया के गला घोंटने की बातें चलती रहती हैं। सेंसरशिप के बहाने तथ्यों को सही तरह से पेश किए जाने से रोकने के प्रयासों के आरोप लगते रहते हैं। लेकिन, ऑनलाइन माध्यम में यह बहुत दुष्कर कार्य है। पिछली सरकार में कई ऐसे प्रयास हुए जब लगा कि अभिव्यक्ति के इस माध्यम को सेंसर करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन, तकनीक के अजीब चरित्र के चलते वे कोशिशें न केवल असफल रहीं बल्कि हास्यास्पद भी दिखीं। 

देश में हिंदी भाषी लोगों की बहुतायत और शिक्षा के स्तर में तेजी से हुई बढ़ोतरी के चलते इंटरनेट एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में विजयी गठबंधन की जीत में इस माध्यम ने अहम भूमिका निभाई और इस घटनाक्रम के चलते ‘परास्त’ दलों को अपनी रणनीति में ऑनलाइन माध्यम का ‘समुचित’ प्रयोग न कर पाने के कारणों को तलाश करने के लिए विवश कर दिया। इससे पहले, दिल्ली के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के उल्लेखनीय प्रदर्शन की एक वजह इस माध्यम के जरिए संवाद करना भी था।

करीब 10 साल पहले निश्चित रूप से ऑनलाइन माध्यम को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता था... यहां मौजूद तथ्यों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए जाते थे... लेकिन आज हालात बदल गए हैं। अब आप इसकी अवहेलना नहीं कर सकते।

देश और दुनिया का युवा वर्ग इस माध्यम से अपनी भाषा में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संभाषणों में हिस्सा ले रहा है... अपनी बात कह रहा है... और युवाओं की हिस्सेदारी ही सामुदायिक भविष्य को तय करती है...।

Saturday, March 22, 2014

ऑनलाइन पत्रकारिता : मीडियाभारती वेब अकादमी हुई लॉन्च

फरीदाबाद : ऑनलाइन पत्रकारिता के क्षेत्र में एक और कदम बढ़ाते हुए शुक्रवार को मीडियाभारती वेब सॉल्युशन ने अपने स्थापना दिवस पर मीडियाभारती वेब अकादमी को लॉन्च किया।

मुख्य अतिथि के रूप में मीडियाभारती.कॉम के प्रबंध संपादक राधेश्याम गुप्ता ने कहा कि ऑनलाइन मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आने वाले समय में वेब पत्रकारिता में उच्च प्रशिक्षित पत्रकारों की मांग और बढ़ेगी। इसके मद्देनजर इस तरह के संस्थान अति आवश्यक हैं।

अकादमी के लक्ष्यों के बारे में जानकारी देते हुए संचालक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मीडियाभारती वेब अकादमी के जरिए छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पत्रकारिता से जुड़े सभी तकनीकी और तथ्यात्मक पहलुओं के बारे में बताया जाएगा। सभी पाठ्यक्रम हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यम के छात्रों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इन पाठ्यक्रमों के बाद छात्र-छात्राओं के लिए विभिन्न समाचार वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और कुशल ब्लॉगिंग के रास्ते खुल सकेंगे।

पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल चार पाठ्यक्रमों में पंजीकरण किए जा रहे हैं। ये हैं... एडवांस्ड कोर्स ऑनलाइन जर्नलिज्म (अवधि- छह माह), एडवांस्ड क्रैश कोर्स इन ऑनलाइन जर्नलिज्म (अवधि-तीन माह), ऑनलाइन कोर्स इन वेब जर्नलिज्म (अवधि- तीन माह) और एडवांस्ड ऑनलाइन कोर्स इन वेब जर्नलिज्म (अवधि- तीन माह)।

सभी पाठ्यक्रमों में पंजीकरण जारी हैं और कक्षाएं 1 मई से प्रारंभ होंगी। विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए संस्थान की वेबसाइट www.mediabhartiwebacademy.com पर संपर्क किया जा सकता है।

Mediabharti Web Academy Launched To Train Online Journalists

Mediabharti Web AcademyFaridabad: Online conglomerate Mediabharti Web Solutions Friday launched its new venture Mediabharti Web Academy, at a simple function attended by social media activists, online journalists and bloggers.
The chief guest Radhey Shyam Gupta, Managing Editor, Mediabharti.com, said "the demand for trained hands, technically and journalistically was expected to increase in coming years as all media establishments in the country were keen to make their presence felt in the virtual world."
Mediabharti Web Academy will educate young aspirants in various technical and creative fields of On-line Journalism by providing sustainable quality education, training in a cyber-friendly environment. The courses will be in both Hindi and English.  
Dharmendra Kumar, director of the Academy told media persons that the courses were designed to meet the specific requirements of the industry. "Our courses are tailor-made to groom students in all the skills required for this stream. After a course with the academy, the trained students will be absorbed by various media websites, portals, industry platforms and social media outlets."
The students will be moulded into skilled, competent and socially-ethically responsible citizens who will lead the building of a powerful nation', Dharmendra Kumar added.
Giving details of the courses, he said that there were four courses available. These are 'Advanced Course On-line Journalism (Duration: 6 Months), Advanced Crash Course in On-line Journalism (Duration: 3 Months), On-line Course in Web Journalism (Duration: 3 Months) and Advanced On-line Course in Web Journalism (Duration: 3 Months).
Registrations for these courses are open and classes will start from May 1. For more details one can login on the Academy's website Mediabhartiwebacademy.com.
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