Sunday, December 02, 2012

रामायण की कहानी, रुक्मणि की जुबानी...!

सुबह-सुबह अपने बिस्तर से मेरी रजाई में घुसते हुए पांच साल की रुक्मणि ने मुझे रामायण की कहानी कुछ यूं सुनाई...

'डैडी, आपको राम की कहानी सुनाऊं...?'
डैडी : हां, सुना।
'एक लक्ष्मण थे... उन्होंने सीता से कहा कि इस गोले से बाहर मत निकलना...।'
डैडी : अच्छा! फिर...?
'लक्ष्मण चले गए... रावण आया... बोला भिक्षा दो...।'
डैडी : ये भिक्षा क्या होता है...?
'पैसे...?'
डैडी : अच्छा फिर...?
'रावण ने कहा... गोले से बाहर आकर दो भिक्षा। सीता ने मना कर दिया... रावण ने कहा कि भिक्षा दो बाहर आकर तो सीता ने दे दी। रावण ने सीता को उठा लिया और रथ में बिठा लिया...।'
डैडी : यह रथ क्या होता है...?
'रिक्शा...।'
डैडी : अच्छा फिर?
'रावण सीता को ले गया तो राम ने हनुमान को भेजा, सीता को ढूंढो...।'
डैडी : यह हनुमान क्या...?
'बंदर...।'
डैडी : अच्छा फिर?
'हनुमान ने सीता को ढूंढ लिया और राम को बता दिया कि रावण के पास है सीता।'
डैडी : अच्छा फिर...?
'राम रावण के पास पहुंचे... बोले सीता को दो...। रावण ने मना कर दिया। राम ने रावण का सिर काट दिया... लेकिन फिर से एक और आ गया...। राम बार-बार काटते फिर से सिर आ जाता...। तब एक आदमी ने कहा कि रावण की नाभि में तीर मारो।'
डैडी : नाभि क्या होता है...?
'नाभि नहीं जानते... पेट में जो होती है। राम ने तीर मार दिया। रावण मर गया। राम सीता को लेकर घर पर आ गए।'
डैडी : अरे वाह मेरे बेटा... तुझे तो पूरी रामायण याद है... :)
-- धर्मेंद्र कुमार

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