Tuesday, February 28, 2012

उप्र चुनाव : छठे चरण में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

धर्मेंद्र कुमार

नई दिल्ली (भारत): उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 13 जिलों की 68 सीटों पर 86 महिलाओं सहित कुल 1103 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनकी किस्मत का फैसला करीब 2.14 करोड़ मतदाता करेंगे। इस चरण में 37 निवर्तमान विधायक भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

इस चरण के तहत जिन 13 जिलों में मतदान होना है, उनमें गौतमबुद्धनगर (नोएडा), गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, प्रबुद्धनगर, पंचशीलनगर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर शामिल हैं।

तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और शांतिपूर्ण मतदान के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। हरियाणा और दिल्ली की सीमा से लगे हुए विधानसभा क्षेत्रों में सुरक्षा की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है।

मतदान के लिए कुल 22,137 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान प्रक्रिया में 30,028 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल होगा।

प्रदेश में होने वाले इस चरण के मतदान में कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर है, जिसमें वर्तमान सरकार के कुछ मंत्री भी हैं।

इस चरण में बहुजन समाज पार्टी सरकार के पांच मंत्री- रामवीर उपाध्याय हाथरस की सिकन्दराराऊ सीट से, जयवीर सिंह अलीगढ़ की बरौली सीट से, वेदराम भाटी मेरठ की किठौर सीट से, चौ. लक्ष्मी नारायण मथुरा की छाता सीट से और धर्म सिंह सैनी सहारनपुर की नकुड़ सीट से चुनाव मैदान में हैं।

अन्य दिग्गजों में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रमुख अजित सिंह के बेटे एवं मथुरा से सांसद जयंत चौधरी मथुरा की मांट सीट से, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हुकुम सिंह प्रबुद्धनगर की कैराना सीट से चुनावी अखाड़े में हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के इस चरण के प्रचार अभियान में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, भाजपा और बसपा सहित अन्य दलों के नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियां कर अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

ब्रजक्षेत्र यानी आगरा और अलीगढ़ मंडलों की 40 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में बॉलीवुड की कई हस्तियों ने भी राजनीतिक चोला ओढ़कर चुनाव प्रचार किया।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, सपा मुखिया मुलायम सिंह, बसपा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री मायावती और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, भाजपा के ही अरुण जेटली, रालोद प्रमुख अजित सिंह आदि नेताओं ने प्रमुख क्षेत्रों जैसे आगरा, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, हापुड़, हाथरस, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में ताबड़तोड़ रैलियां और रोड शो किए हैं।

आगरा शहर से 28 पार्टी मैदान में हैं। यहां मुकाबला चतुष्कोणीय नजर आता है लेकिन कुछ छोटे दल और निर्दलीय प्रत्याशी वोट काटने की स्थिति में हैं। अमर सिंह के अभियान से मुलायम सिंह मुसीबत में पड़ सकते हैं तो टिकट न मिलने से नाराज कई दूसरे प्रत्याशी भी मुश्किलें खड़ी कर पा रहे हैं। फतेहपुर सीकरी सीट पर टिकट न मिलने से नाराज राजकुमार चाहर निर्दलीय चुनाव लड़कर रालोद के बाबू लाल को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

आगरा जनपद में कुल नौ सीटें हैं जिनमें पिछली बार बसपा को 6 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार सीटों के परिसीमन और किसी के पक्ष में कोई खास हवा न होने के चलते सभी राजनीतिक दल ऊहापोह की स्थिति में हैं। पिछली बार यहां 43 फीसदी वोट पड़े थे लेकिन इस बार अन्ना फैक्टर के चलते और पहले पांच दौर के मतदान को देखते हुए इसके कम से कम 60 फीसदी तक होने का अनुमान है।

आगरा से लगे मथुरा जनपद में कमोबेश स्थिति ऐसी ही है। विश्लेषकों के अनुसार बसपा को नुकसान तो होगा लेकिन कितना इसपर कोई खुलकर आकलन नहीं कर पा रहा है।

इस चरण में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की साख भी दांव पर लगी है क्योंकि उनके बेटे एवं जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) अध्यक्ष राजवीर सिंह बुलंदशहर की डिबाई सीट से और पुत्रवधू प्रेमलता अलीगढ़ की अतरौली सीट से किस्मत आजमा रही हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी और रालोद नेता कोकब हमीद भी चर्चित चेहरे हैं।

प्रदेश में अपने वजूद को बचाने की लड़ाई लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने बेटे राजवीर सिंह को डिबाई विधानसभा क्षेत्र से जिताने की है।

कभी भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह को बुलंदशहर में काफी सम्मान प्राप्त है। उनसे जुड़े लोध राजपूतों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए विरोधियों ने राजवीर सिंह के लिए भी मजबूत किलेबंदी तो कर ही रखी है, खुद अपने भी उन्हें चक्रव्यूह में घेरने की कोशिश में लगे हुए हैं। राजवीर के सामने चुनौती पिछले विधानसभा चुनाव की हार का बदला लेने की भी है। पिछली बार बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित ने उन्हें हार का स्वाद चखाया था। इस बार शर्मा सपा के टिकट पर मैदान में हैं। बसपा ने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई विनोद उपाध्याय को मैदान में उतारा है लेकिन राजवीर की असली परेशानी तो भाजपा के उम्मीदवार रवींद्र सिंह बढ़ा रहे हैं। पहली बार चुनाव मैदान में उतरे रवींद्र सिंह पूर्व विधायक राम सिंह के पुत्र हैं, जो कल्याण सिंह के काफी करीबी माने जाते थे। भाजपा ने लोध वोट बैंक में सेंधमारी की गरज से ही राम सिंह को पहले प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन उन्होंने अपने पुत्र का नाम आगे कर दिया।

डिबाई विधानसभा क्षेत्र में बात विकास की करें, तो यहां की बदहाली को देखकर यही लगता है कि यहां के जनप्रतिनिधियों ने विकास को कोई तवज्जो नहीं दी है।

स्थानीय लोगों की मानें तो ऊर्जा मंत्री के भाई के चुनाव मैदान में उतरने के कारण बिजली आपूर्ति थोड़ी सुधरी है, लेकिन वह भी चुनाव से ऐन पहले।

डिबाई विधानसभा क्षेत्र के जातीय आंकड़ों की बात करें, तो यहां लोध राजपूत मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक करीब 92,000 है, जो निर्णायक साबित होती है। इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 38,000, क्षत्रिय 16,000 और जाट मतदाताओं की लगभग 18,000 संख्या भी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।

अलीगढ़ जनपद की सात विधानसभा सीटों पर 1197148 पुरुष और 957556 स्त्री मतदाता अपने प्रतिनिधि का चयन करेंगे।

नए परिसीमन के कारण हाई प्रोफाइल सीट और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गढ़ अतरौली में उनकी पुत्रवधु व जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) की प्रत्याशी प्रेमलता वर्मा, भाजपा के राजेश भारद्वाज, सपा के वीरेश यादव, बसपा के साकिब, कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और राष्ट्रीय सवर्ण दल के चमन शर्मा का बहुकोणीय मुकाबला है।

अलीगढ़ शहर विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी जफर आलम, भाजपा के आशुतोष वार्ष्णेय, कांग्रेस के योगेश दीक्षित, बसपा के संजय शर्मा और रासद के प्रत्याशी डॉ. सीपी गुप्ता के बीच मुकाबला है।

बरौली क्षेत्र से बसपा सरकार में मंत्री रहे जयवीर सिंह तीसरी बार सफलता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। रालोद के दलवीर सिंह, भाजपा के मुनीश गौड़, सपा के मोहन लाल बघेल, जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) के केशव सिंह और रासद के गजेंद्र सिंह उन्हें टक्कर दे रहे हैं।

कोल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी विवेक बंसल, सपा के जमीरुल्ला, बसपा के जियाउर्रहमान और भाजपा के योगेंद्र लालू दौड़ में शामिल हैं।

रालोद की परंपरागत सीट माने जाने वाले इगलास क्षेत्र में पार्टी के प्रत्याशी त्रिलोकीराम परंपरा को कायम रखने की कोशिश करेंगे। उनका बसपा के राजेंद्र कुमार, भाजपा की रामसखी कठेरिया से कड़ा मुकाबला है।

रालोद के ही दूसरे गढ़ खैर क्षेत्र में पार्टी के प्रत्याशी भगवती प्रसाद और बसपा की राजरानी मुख्य दौड़ में शामिल हैं। भाजपा के अनूप वाल्मीकि और सपा के गुरविंदर सिंह भी अपनी पूरी ताकत झोंकी है।

छर्रा में सपा प्रत्याशी राकेश सिंह, कांग्रेस के परवेज अहमद, बसपा के मूलचंद्र बघेल और जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) के रवेंद्र पाल सिंह में कड़ी टक्कर है।

आगरा में राजनीतिक विश्लेषक बृज खंडेलवाल ने बताया, "पिछले पांच चरणों के मतदान के बाद कोई भी पार्टी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है। इस दौर के मतदान के बाद भी स्थिति बदलती नहीं दिख रही। इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग किस्म का है। पूरी तरह सक्रिय भूमिका निभा रहा निर्वाचन आयोग इसके लिए धन्यवाद का पात्र है, जिसने अपने तेवर में कोई नरमी नहीं दिखाई और न ही किसी पार्टी को कोई छूट दी।"

क्षेत्रीय मीडिया और गैर सरकारी संगठनों ने भी मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए कई सिलसिलेवार कार्यक्रम चलाए हैं।

इस दौर में खास बात जो देखने में आई है वह यह है कि इस बार चुनावों पर पैसे का असर नहीं दिख रहा है। प्रशासन सख्ती से नजर रख रहा है।

(कुछ अंश एजेंसियों से)

Saturday, February 25, 2012

Overview of Netscape Composer

Netscape Composer is an HTML editor initially developed by Netscape Communications Corporation in 1997, and packaged as part of the Netscape Communicator, Netscape 6 and Netscape 7 range of Internet suites.

In addition, Composer can also view and edit HTML code, preview pages in Netscape Navigator, check spelling, publish websites, and supports most major types of formatting.

Composer was initially developed by Netscape as a component of the company's internet suites; however, after the company was bought by AOL in 1998, further development of its codebase was made open source and overseen by the Mozilla Foundation. Subsequent releases of Netscape Composer were based upon Mozilla Composer, the same utility within the Mozilla Application Suite.


You can download this software from here...

Sunday, February 19, 2012

Overview of Dreamweaver

Adobe Dreamweaver (formerly Macromedia Dreamweaver) is a proprietary web development application originally created by Macromedia, and is now developed by Adobe Systems, which acquired Macromedia in year 2005.

Dreamweaver is available for both Mac and Windows operating systems. Recent versions have incorporated support for web technologies such as CSS, JavaScript, and various server-side scripting languages and frameworks including ASP (ASP JavaScript, ASP VBScript, ASP.NET C#, ASP.NET VB), ColdFusion, Scriptlet and PHP.

You can download its trial version from here...

Saturday, February 18, 2012

कालिंदी कॉलेज के पत्रकारिता विद्यार्थियों की 'SENTENTIAS'

दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज में पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों ने एक पत्रिका 'SENTENTIAS' (सेनटेंशियास) का प्रकाशन किया है...  सेनटेंशियास एक स्पेनिश शब्द है जिसका मतलब होता है... राय (Opinions)।

संपादकीय मंडल में शामिल ऐशानी गुप्ता पूर्व में एनडीटीवीखबर.कॉम में बतौर प्रशिक्षु रह चुकी हैं। उन्हें और उनकी टीम को एक बेहतरीन पत्रिका के प्रकाशन के लिए बधाई...  पूरी पत्रिका आपको पढ़ने के लिए उपलब्ध करा रहा हूं...
--- धर्मेंद्र कुमार


Monday, February 06, 2012

Overview of Photoshop

Adobe Photoshop is a graphics editing application popular for it's extensive amount of features.

Currently, Photoshop is the leading graphics editing application.

Photo shop is also an image creation software as well as an editor. Photo shop can create any effect or style needed in a drawing or painting or layout. There are graphic software that can do specialized work faster and more efficient than Photo shop (such as painter for realistic paint effects), but Photo shop can do it all in one program.

The basics of Photo shop are easy to learn, even the CS versions. They are very intuitive, and there are several ways to do almost everything to work with an individual's style of drawing and skill level yet you can spend years learning all the pro level features.

Photo shop works by altering individual pixels in an image as opposed to a vector drawing program that draws with points, lines and objects mathematically. Photo shop is best with images that have complex textures, blends and photo realism, but Photo shop is also very good at vector drawing as long as the image doesn't need to be scaled and you don't need specialized CAD drawing tools.

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