Monday, August 16, 2010

Kids Celebrate ‘Environment Day’ At Holy Child

Faridabad (India) (Mediabharti Syndication Service): ‘We are the world. We are the people who have to make this place, a better world to live in’ keeping this theme in mind the little ones of Holy Child Public School celebrated Environment Day. Through rhymes, songs and skits students tried to spread the message that the environment is dear to us and it is our duty to do all we can to protect it.
The thought that poly-bags are harmful for the environment was beautifully displayed in song and dance by the students.

They even gave the message of the usefulness of water and trees to man. The little ones also sang in praise of the beauty of nature. It was a very colorful programme with Rukmini, Sidhi, Yash, Divya and many more kids dressed as trees, flowers and fruits.

The Principal and Vice Principal graced the function. They appreciated the efforts put in by the children and the teachers.

Wednesday, August 11, 2010

यादों के फूल...

बहुत दिनों से एक कविता लिखना चाह रहा था लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद पता चला कि कविता लिखना दुनिया के मुश्किल कामों में से एक है। इसलिए अपनी एक कवयित्री मित्र को अपनी भावनाएं बताईं। उन्होंने आधे घंटे में निपटा दिया। कविता में वही सब है जो मैं सोच रहा था। मुझे बहुत बेहतरीन कविता लगी। भरोसा है आपको भी बढ़िया लगेगी। उन्होंने नाम देने के लिए मना किया है, इसलिए नाम नहीं बता रहा हूं...ये कविता उन्होंने मुझे तोहफे में दी है... धन्यवाद दोस्त... :)
---धर्मेंद्र कुमार


आज फिर आंखों में नमी है
दिल ने फिर ली अंगड़ाई है
आज फिर जज्बात बेकाबू हैं
आज फिर तेरी याद आई है

याद है आज भी मुझे
तेरी सांसों का हर मंजर
वो हंसना-हंसाना, वो रूठकर
मान जाना अक्सर

वो मेरे जीवन में तेरा
प्रकाशपुंज सा दीप्त होना
वो तेरे आने से हर जर्रा रोशन
और मेरी जिंदगी में लिप्त होना

वो मुश्किल पलों में
तेरा हाथों में हाथ
वो कामयाबी की पहली सीढ़ी
और हरदम तेरा साथ

वो जिंदगी का नया पन्ना
जीवन को जोड़ता एक और अध्याय
सूर्य का बेटी बनकर आना
असीम खुशियों का एक और पर्याय

वो संघर्ष के दिनों में भी
छिटककर बिखरी हुई चांदनी
वो दो परियों का आना
छिड़ती खुशियों की एक और रागिनी

पर क्या ये खुशियां सिर्फ मेरी थी
क्यूं चलते-चलते छोड़ दिया मेरा साथ
जब हर तूफान में बनी थी मेरी हमकदम
फिर ऐसे वक्त में क्यूं छुड़ा लिया अपना हाथ

बहुत टूटा, बहुत रोया
मायूस और तन्हा, बेबस और लाचार
खोकर तुझे जिंदगी से हार बैठा
तैयार नहीं था सहने को नियति का अत्याचार

रूठते ही तेरे
जैसे रूठ गई हर खुशी
सब कुछ खोता गया मैं
हर तरफ सिर्फ गम और मायूसी

जब साथ नहीं रहा तेरा
तो साथ छोड़ गई किस्मत
अकेले लड़ सकूं इन हालातों से
ऐसी कहां थी मुझमें हिम्मत

पर तुम मेरी ताकत, मेरी हिम्मत
मेरी प्रेरणा बनकर मुझमें जिंदा हो
ठान लिया मैंने, नहीं करूंगा कुछ ऐसा
जिस से कभी तुम मुझ पर शर्मिंदा हो

लड़खड़ाया, गिरा, फिर संभला
पर चलता गया मैं
हर तूफान को तेरी यादों के सहारे
सहता गया मैं

करम तेरे अच्छे तो किस्मत तेरी दासी
तू अक्सर कहा करती थी
आखिर सिद्ध कर दिया मैंने
तेरी ताकत जो मेरे साथ रहा करती थी

आते ही एक पल में तूने सारी जिंदगी संवार दी
और जाते ही दूसरे पल में जिंदगी उजाड़ दी
ना गिला है तुझसे, ना शिकायत कोई
क्योंकि उन दो पलों में मैंने अपनी जिंदगी गुजार दी

थोड़ा बदल गया हूं मैं
खुद को कामयाबी की ओर देखता हूं
इन परियों में आज भी जिंदा है तू
इनमें तेरा अक्श देखता हूं

फिर तेरी याद से रोशन
आंखों में दिये सजा रखे हैं
अपने आंसू की नमी से आज भी
फूल तेरी याद के ताजा रखे हैं
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